बुधवार, 14 दिसंबर 2016

कैसे बचें सर्दी, जुकाम और खांसी से?

कैसे बचें सर्दी, जुकाम और खांसी से?


सर्दियों के आने के साथ ही जुकाम, बुखार इत्यादि बहुत आसानी से फैलने लगता है| इसके फैलने में अक्सर बहुत बड़ी गलती यह होती है कि हम ध्यान नहीं देते कि क्यों और कैसे फैलता है जुकाम, खांसी इत्यादि| ताजा पीसी मिर्ची/ मसालों के अलावा हमारी छींक/खांसी के लिए जिम्मेदार कुछ बैक्टीरिया होते हैं| जो हमारी नाक अथवा मुंह से बाहर निकल, हवा में उड़ कर किसी और तक आसानी से पहुँच जाते हैं|
कई बार हम छींकते और खांसते समय इस बात का ध्यान नहीं रखते कि एक छींक आसपास की हवा में बहुत बड़ा बदलाव ला सकती है. एक उदहारण से समझते हैं इसे, यदि किसी भीड़ भरे क्षेत्र में एक व्यक्ति को छींक आये और वो सही तरीके से अपना नाक और मुंह ढंकना नहीं जानता तो उसके द्वारा एक छींक में आसपास की हवा में  लगभग १२ मीटर तक उसकी छींक से निकले बेक्टीरिया फैल सकते हैं| इस पूरे क्षेत्र की हवा में फैले हुए ये बैक्टीरिया वहाँ उपस्थित सभी व्यक्तियों पर कम अथवा अधिक असर कर सकते हैं और इस तरह खांसी जुकाम के मरीज बढ़ाने में पूरा योगदान देते हैं.



कुछ अपवाद छोड़ दें तो यही देखा है कि अधिकतर खांसते समय व्यक्ति अपनी हथेली से अपना मुंह ढँक लेते हैं| यहाँ हथेली आधी मुट्ठी की तरह बंद भी हो सकती है और हथेली पूरी खुली हुई भी हो सकती है| ये दोनों ही क्रियाएँ सही नहीं आपके स्वास्थ्य के लिए| दोनों ही स्थिति में खांसने के दौरान निकले हुए बैक्टीरिया उस व्यक्ति की हथेली पर आ जाते हैं| फिर उन्ही हाथों से उसने कोई किताब पढ़ी, कोई वस्तु किसी को उठाकर दी अथवा दरवाजा खोला हो, यानि किसी भी वस्तु का स्पर्श किया हो तो ऐसे में हथेली से चिपके हुए बैक्टीरिया उन सारी वस्तुओं पर हस्तांतरित हो जायेंगे| और क्योंकि इनकी जीवन शक्ति बहुत अधिक होती है तो जैसे ही कोई और व्यक्ति इन सारी वस्तुओं को हाथ लगायेगा, ये बैक्टीरिया सहज ही उस दूसरे व्यक्ति के हाथ पर पहुँच जायेंगे| सार्वजनिक स्थानों यथा बस, ट्रेन, मेट्रो ट्रेन, पुस्तकालय आदि स्थानों पर तो इनका फैलना और आसान  हो जाता है|



अब क्योंकि ये सूक्ष्म बैक्टीरिया हमारी आँखों की पहुँच से परे हैं तो अनजाने ही उन जीवाणुओं को वह दूसरा व्यक्ति भोजन के साथ अथवा अपने नाक के जरिये शरीर के भीतर पहुँचाने की राह बना देता है और खांसी जुकाम का शिकार हो जाता है| ऐसे में इन बैक्टीरिया से बचने के लिए क्या किया जाए?
आज इस लेख के जरिये हम इनसे बचने के लिए सही तरीके से खांसना और छींकना समझेंगे|

-सबसे पहले तो यह बात गाँठ बाँध लें कि खांसते और छींकते समय कभी भी अपनी हथेली से नाक और मुंह न ढकें, बल्कि रुमाल अथवा टिशूज का प्रयोग करें| 






-यदि हथेली का ही प्रयोग करना आखिरी उपाय है तो हथेली के पिछले भाग से नाक मुंह ढंक लीजिए| फिर उलटी हथेली से आप किसी भी वस्तु को स्पर्श ना करें जब तक कि आप अपने हाथ साबुन से अच्छी तरह ना धो लें|

-कोहनी का इस्तेमाल कीजिये छींकते अथवा खांसते समय| हमेशा यह कोशिश कीजिये कि खांसते और छींकते समय आपकी कोहनी के भीतरी भाग से आपके नाक और मुंह का अधिकांश हिस्सा अच्छे से ढँक जाए| यह शरीर का वह भाग है जो किसी भी वस्तु के कम से कम संपर्क में आता है|

-कोहनी का इस्तेमाल करना यदि उस समय मुश्किल हो तो किसी रुमाल से अपने नाक और मुंह को पूरी तरह ढँक लें| फिर उस रुमाल को अच्छे से धोए बिना इस्तेमाल ना आप करें और ना ही किसी और को इस्तेमाल के लिए दें|



-नाक से पानी बह रहा हो तो अपने साथ ३-४ छोटे रुमाल अवश्य रखें| रुमाल की जगह पेपर टिशूज का प्रयोग करें तो और भी बेहतर| प्रयोग करके इन टिशूज को सीधा कचरे के डिब्बे में ही फेंके जिस से अन्य जगह अथवा सतह पर बेक्टीरिया न पनप सकें|

-यदि जुकाम और खांसी की जकड में आ ही गए हैं तो दो बातों का और ध्यान रखिये| पहला, पानी खूब पीयें, इस तरह आप अपने शरीर को जल्दी रोगमुक्त होने में मदद करेंगे| और दूसरा, अपने हाथ साबुन से बार बार धोएं| यह कुछ असुविधाजनक तो है किन्तु ऐसा करके आप ना सिर्फ इन बैक्टीरिया को संवर्धित होने से रोकेंगे बल्कि अपने आसपास के लोगों तक पहुँचने से भी रोकेंगे और एक स्वस्थ वातावरण बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका भी निभाएंगे|



-खांसी जुकाम हो ही गया है तो एक छोटा सा उपाय यह करें कि एक भगोना भर पानी को २ चम्मच नमक के साथ उबाल लें और उस से निकली वाष्प लें, आपको राहत मिलेगी गले के सूखेपन और नाक बहने की समस्या से|

-नाक लगातार बहते रहने और पोंछने से नासाग्र पर जलन होने लगती है, ऐसे में आप दिन में कई बार कोई भी क्रीम नासाग्र पर लगाएं तो जलन कम हो जायेगी|

तो देखा न आपने, कितने साधारण और छोटे छोटे से उपाय से आप अपने आस पास के वातावरण को बैक्टीरिया मुक्त रख सकते हैं, बीमारियाँ फैलने से रोक सकते हैं और स्वयं के साथ साथ दूसरों के स्वास्थ्य की भी रक्षा कर सकते हैं|

-पूजा अनिल

(श्री गणेश डे जी का बहुत बहुत आभार इस लेख के लिए तस्वीरें बनाने के लिए|)


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